Friday, March 21, 2025
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संतुलित आहार- आहार के नियम – भारतीय महीनों अनुसार- आहार

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संतुलित आहार क्या है?

संतुलित आहार में विभिन्न खाद्य पदार्थों को निश्चित मात्रा में शामिल किया जाता है ताकि पोषक तत्व, प्रोटीन, विटामिन, खनिज और वैकल्पिक पोषक तत्व संपूर्ण रूप से प्राप्त हो सकें। आवश्यक पोषक तत्वों से परिपूर्ण भोजन ही संतुलित भोजन कहलाता है।

जीवन के लिए आहार आवश्यक है, भोजन शरीरिक विकास एवं ऊर्जा प्राप्ति के लिए जरूरी है।
संतुलित आहार लेने से मनुष्य शरीरिक रूप से स्वस्थ रहता है, शरीर मे ऊर्जा का संचार उत्तम तरीके से बना रहता है।

इससे ऊर्जा मिलती है – कार्बोहाईड्रेट और वसा ऊर्जा प्रदान करते हैं। जैसे पेट्रोल गाडी की उर्जा है।
विकास और मरम्मत – प्रोटीन शरीर के विकास और मरम्मत के लिए ज़रूरी है। जैसे ईटे घरकी दीवारे बनाती है।
कुछ विशेष कार्य – विटामिन और खनिज पदार्थ विभिन्न तंत्रों को दुरूस्त रखते हैं।

“संतुलित जीवन के लिए संतुलित आहार।” “स्वस्थ भोजन, सुखी जीवन।” “अच्छे भोजन से अपने मन और शरीर को पोषण दें।” “स्वास्थ्य चुनें, खुशी चुनें।”

संतुलित आहार के नियम:-

जब तक आप को भूख का अहसास नही हो भोजन नही करना चाहिए, बिना भूख के खाया गया भोजन कई बीमारियों को बढ़ावा देता है। …


एक बार भोजन ग्रहण कर लेने के पश्चात दूसरी बार भोजन लेने के बीच कम से कम चार या पाँच घंटे का अंतर रखना चाहिए।


रात्रि के भोजन का विशेष ध्यान रखें, रात्रि में शारीरिक क्रिया धीमी होने के कारण आहार के पाचन में समय अधिक लगता है, अत: देर रात्रि में भोजन ना करके 7 से 8 बजे के बीच भोजन कर लें!


सुपाचय भोजन करें, जयादा तला भुना खाने से परहेज करें!


भोजन ताजा एवं स्वछता पूर्वक बना हुआ होना चाहिए!


भोजन शांति से जमीन पर बैठ कर करना चाहिए, भोजन करते समय टीवी, मोबाइल आदि का इस्तेमाल नही करना चाहिए!

संतुलित आहार के प्रकार


आहार मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं-

1. सात्विक आहार
2. राजसी आहार
3. तामसिक आहार

भोजन के रूप में इंद्रियों द्वारा जो ग्रहण किया जाता है , उसे आहार कहते हैं। इसके भिन्न भिन्न दृष्टिकोण से बहुत प्रकार हैं परंतु इसके निम्न प्रकार हैं:——
१. अल्पाहार
२. फलाहार
३. निराहार
४. मांसाहार
५. शाकाहार
६. सर्वाहार
७. नाहार

चैत्र ( मार्च-अप्रैल) – संतुलित आहार

इस महीने में गुड का सेवन करे क्योकि गुड आपके रक्त संचार और रक्त को शुद्ध करता है एवं कई बीमारियों से भी बचाता है।

चैत्र के महीने में नित्य नीम की 4 – 5 कोमल पतियों का उपयोग भी करना चाहिए इससे आप इस महीने के सभी दोषों से बच सकते है।

नीम की पतियों को चबाने से शरीर में स्थित दोष शरीर से हटते है।

वैशाख (अप्रैल – मई)- संतुलित आहार

वैशाख महीने में गर्मी की शुरुआत हो जाती है। बेल पत्र का इस्तेमाल इस महीने में अवश्य करना चाहिए जो आपको स्वस्थ रखेगा। वैशाख के महीने में तेल का उपयोग बिल्कुल न करे क्योकि इससे आपका शरीर अस्वस्थ हो सकता है।

ज्येष्ठ (मई-जून) – संतुलित आहार

भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है। ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्य वर्द्धक होता है , ठंडी छाछ , लस्सी, ज्यूस और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें।

बासी खाना, गरिष्ठ भोजन एवं गर्म चीजो का सेवन न करे। इनके प्रयोग से आपका शरीर रोग ग्रस्त हो सकता है।

अषाढ़ (जून-जुलाई) – संतुलित आहार

आषाढ़ के महीने में आम , पुराने गेंहू, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठन्डे पदार्थ , ककड़ी, पलवल, करेला, बथुआ आदि का उपयोग करे व आषाढ़ के महीने में भी गर्म प्रकृति की चीजों का प्रयोग करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

श्रावण (जूलाई-अगस्त) – संतुलित आहार

श्रावण के महीने में हरड का इस्तेमाल करना चाहिए। श्रावण में हरी सब्जियों का त्याग करे एव दूध का इस्तेमाल भी कम करे। भोजन की मात्रा भी कम ले – पुराने चावल, पुराने गेंहू, खिचड़ी, दही एवं हलके सुपाच्य भोजन को अपनाएं।

भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर) – संतुलित आहार

इस महीने में हलके सुपाच्य भोजन का इस्तेमाल कर वर्षा का मौसम् होने के कारण आपकी जठराग्नि भी मंद होती है इसलिए भोजन सुपाच्य ग्रहण करे। इस महीने में चिता औषधि का सेवन करना चाहिए।

आश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) – संतुलित आहार

इस महीने में दूध , घी, गुड़ , नारियल, मुन्नका, गोभी आदि का सेवन कर सकते है। ये गरिष्ठ भोजन है लेकिन फिर भी इस महीने में पच जाते है क्योकि इस महीने में हमारी जठराग्नि तेज होती है।

कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर) – संतुलित आहार

कार्तिक महीने में गरम दूध, गुड, घी, शक्कर, मुली आदि का उपयोग करे। ठंडे पेय पदार्थो का प्रयोग छोड़ दे। छाछ, लस्सी, ठंडा दही, ठंडा फ्रूट ज्यूस आदि का सेवन न करे , इनसे आपके स्वास्थ्य को हानि हो सकती है।

अगहन (नवम्बर-दिसम्बर) – संतुलित आहार

इस महीने में ठंडी और अधिक गरम वस्तुओ का प्रयोग न करे।

पौष (दिसम्बर-जनवरी) – संतुलित आहार

इस ऋतू में दूध, खोया एवं खोये से बने पदार्थ, गौंद के लाडू, गुड़, तिल, घी, आलू, आंवला आदि का प्रयोग करे, ये पदार्थ आपके शरीर को स्वास्थ्य देंगे। ठन्डे पदार्थ, पुराना अन्न, मोठ, कटु और रुक्ष भोजन का उपयोग न करे।

माघ (जनवरी-फ़रवरी) – संतुलित आहार

इस महीने में भी आप गरम और गरिष्ठ भोजन का इस्तेमाल कर सकते है। घी, नए अन्न, गौंद के लड्डू आदि का प्रयोग कर सकते है।

फाल्गुन (फरवरी-मार्च) – संतुलित आहार

इस महीने में गुड का उपयोग करे। सुबह के समय योग एवं स्नान का नियम बना ले। चने का उपयोग न करे।

संतुलित आहार वह है जिसमें विभिन्न खाद्य पदार्थों को निश्चित मात्रा और अनुपात में शामिल किया जाता है ताकि कैलोरी, प्रोटीन, विटामिन, खनिज और वैकल्पिक पोषक तत्वों की आवश्यकता पर्याप्त हो। और पोषक तत्वों की अल्पकालिक पुनःपूर्ति के लिए छोटी मात्रा में संग्रहित किया जाता है।

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संतुलित आहार क्या है?

संतुलित आहार में विभिन्न खाद्य पदार्थों को निश्चित मात्रा में शामिल किया जाता है ताकि पोषक तत्व, प्रोटीन, विटामिन, खनिज और वैकल्पिक पोषक तत्व संपूर्ण रूप से प्राप्त हो सकें। आवश्यक पोषक तत्वों से परिपूर्ण भोजन ही संतुलित भोजन कहलाता है।

संतुलित आहार के प्रकार

आहार मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं-
1. सात्विक आहार
2. राजसी आहार
3. तामसिक आहार

ज्येष्ठ (मई-जून) – संतुलित आहार आहार क्या है?

आषाढ़ के महीने में आम , पुराने गेंहू, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठन्डे पदार्थ , ककड़ी, पलवल, करेला, बथुआ आदि का उपयोग करे व आषाढ़ के महीने में भी गर्म प्रकृति की चीजों का प्रयोग करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

पौष (दिसम्बर-जनवरी) – संतुलित आहार क्या है?

इस महीने में ठंडी और अधिक गरम वस्तुओ का प्रयोग न करे।

रात का भोजन कैसा होना चाहिए?

रात्रि के भोजन का विशेष ध्यान रखें, रात्रि में शारीरिक क्रिया धीमी होने के कारण आहार के पाचन में समय अधिक लगता है, अत: देर रात्रि में भोजन ना करके 7 से 8 बजे के बीच भोजन कर लें!

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