Meditation मन एवं मस्तिष्क की ऐसी अवस्था है जहाँ पहुँच कर हम विचार शून्य हो जाते हैं। हम पूरी तरह शून्यता में विलीन हो जाते है।
Meditation या ध्यान की अवस्था मे पहुँच ने पर व्यक्ति संसारिक विचारों से मुक्त होकर अपने सांसो पर धारणा साधते हुए स्वयं से connect हो जाता है।
जब आप बाहरी विचारो से disconnect होकर अपनी सांसो पर धारणा रख रख कर ध्यान की अवस्था को प्राप्त होते हो उस समय ध्यान एवं धारणा एक साथ चलते हैं। और समय के साथ ध्यान और धारणा एक साथ समाहित हो जाते है जिससे व्यक्ति संपूर्ण ध्यान की अवस्था मे पहुँच जाता है।
ध्यान का इतिहास:-
ध्यान का जंमदाता प्राचीन वैदिक काल है अर्थात ध्यान का अविष्कार भारत के प्राचीन वैदिक काल मे हुआ था। ध्यान का वर्णन प्राचीन वैदिक ग्रंथो मे मिलता है ध्यान आयुर्वेद एवं जीवन विज्ञान मे प्रयोग की जाने वाली एक बहुत ही प्राचीन वैदिक पद्वति है जो प्राकृतिक रूप से स्वास्थय की देखभाल करने के लिए प्राचीन वैदिक काल मे विकसित की गयी थी।
ध्यान (Meditation) करने के 7 फायदे:-
- Meditation (ध्यान) करने से मन शांत रहता है।
- विचार सात्विक रहते है।
- शरीर स्वस्थ रहता है एवं शरीर मे सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- स्वयं के एवं दुसरो के बारे मे हमारा दृष्टिकोण सकरात्मक (Positive) हो जाता है।
- क्रोध, चिंता और आलस से मुक्ति मिल जाती है।
- मस्तिष्क संतुलित रहता है और decision लेने की क्षमता अच्छी हो जाती है।
- व्यक्तित्व आकर्षक हो जाता है।
ध्यान करना कैसे शुरू करें?
ध्यान करने के 7 नियम:-
1. एक समय सुनिश्चित करें।
2. एक शांत एवं आरामदायक स्थान का चुनाव करें।
3. शांतिपूर्वक बैठकर ध्यान शुरू करें।
4. मन को एकाग्र करने की कोशिश करें।
5. ध्यान मे शून्य पर पहुँचे।
6. ध्यान मे सचेतना लायें।
7. ध्यान को समाप्त करके साधारण अवस्था मे आ जाये।
जब कोई भी व्यक्ति ध्यान करना शुरू करता है तब वह अपनी सांसो पर धारणा लगानी शुरू करता है वही धारणा धीरे धीरे ध्यान बन जाती है और जब वो धारणा आपके ध्यान के अंदर जाकर समाहित (dissolved) हो जाती है उस अवस्था मे आप अपनी सांसों को भी भूल जाते हो और शून्य मे पहुँच जाते हो।
जो Meditation शुरू करना चाहते है उनको सबसे पहले अपनी सांसो पर धारणा लगानी शुरू करनी चाहिए। आप खुली आँखों से किसी एक बिंदु पर भी अपनी धारणा लगा सकते हो। अपने ईष्ट देव का ध्यान करके भी धारणा लगा सकते हैं। इसी ध्यान और धारणा के माध्यम से व्यक्ति शून्यता की अवस्था से होते हुए अंत मे समाधि की अवस्था मे पहुँच जाता है।
आध्यात्मिक रूप से ध्यान कैसे करें?
स्वयं पर चिंतन करें, अपने विचारों से ध्यान हटा कर अपनी सांसो पर ध्यान केंद्रित करें एवं स्वयं को शून्य मे समाहित कर लें। आराम की अवस्था मे आये और धीरे धीरे आँखे खोल लें।
समाधि की अवस्था:-
“समाधि की अनुभूति का मतलब होता है आनंद की अनुभूति”
ध्यान और धारणा के माध्यम से व्यक्ति शून्यता की अवस्था से होते हुए अंत मे समाधि की अवस्था मे पहुँच जाता है।
अगर आप ध्यान को अपने जीवन मे अपनाना चाहते है तो सबसे पहले अपने बारे मे जानिए आप किस तरह के व्यक्ति है Introvert, Extrovert. उसी के अनुसार आप ध्यान (Meditation) का चुनाव करें।
ध्यान के बहुत सारे प्रकार है जो आपके व्यक्तिव के अनुसार एवं आपकी वर्तमान मानसिक अवस्था के अनुसार कार्य करते हैं जैसे अगर आप Introvert व्यक्ति है तो आपके लिए अलग तरह के ध्यान होंगे, आप Extrovert हैं तो अलग तरह के Meditation होंगे और अगर आप मानसिक तनाव (Stress/Depression) मे हैं तो अलग तरह के ध्यान करने की आपको आवश्यकता पड़ेगी।
ध्यान की प्रक्रिया अलग अलग होती हैं। आपको अपनी स्थिति के अनुसार Meditation (ध्यान) का चुनाव करना चाहिए या किसी योग्य प्रशिक्षक के माध्यम से Meditation (ध्यान) का अभ्यास शुरू करना चाहिए।
ध्यान के प्रकार:-
- सचेतन ध्यान (Mindful Meditation)
- आध्यात्मिक ध्यान (Spiritual Meditation)
- एकाग्र ध्यान ( Focused/Concentration Meditation)
- Movement Meditation for Mind
- मंत्र ध्यान (Mantra Meditation)
- भावातीत ध्यान (Transcendental Meditation)
- प्रगतिशील ध्यान (Progressive Meditation)
- प्रेम- कृपा ध्यान (Love-Kindness Meditation)
Meditation क्या है?
Meditation मन एवं मस्तिष्क की ऐसी अवस्था है जहाँ पहुँच कर हम विचार शून्य हो जाते हैं।
Meditation के क्या फायदे हैं?
1. Meditation (ध्यान) करने से मन शांत रहता है।
2. विचार सात्विक रहते है।
3. शरीर स्वस्थ रहता है एवं शरीर मे सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
4. स्वयं के एवं दुसरो के बारे मे हमारा दृष्टिकोण सकरात्मक (Positive) हो जाता है।
5. क्रोध, चिंता और आलस से मुक्ति मिल जाती है।
6. मस्तिष्क संतुलित रहता है और decision लेने की क्षमता अच्छी हो जाती है।
7. व्यक्तित्व आकर्षक हो जाता है।
क्या ध्यान के द्वारा समाधि प्राप्त की जा सकती है?
ध्यान और धारणा के माध्यम से व्यक्ति शून्यता की अवस्था से होते हुए अंत मे समाधि की अवस्था को प्राप्त हो जाता है।
समाधि की अवस्था क्या है?
समाधि की अवस्था आनंद की अवस्था है”
आध्यात्मिक रूप से ध्यान कैसे करें?
स्वयं पर चिंतन करें, अपने विचारों से ध्यान हटा कर अपनी सांसो पर ध्यान केंद्रित करें एवं स्वयं को शून्य मे समाहित कर लें। आराम की अवस्था मे आये और धीरे धीरे आँखे खोल लें।